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बार-बार बुखार का राज़ : आखिर ये ‘फीवर का चक्कर’ क्यों नहीं छोड़ता साथ?

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बार-बार बुखार Bar bar fever aana आना एक ऐसी स्थिति है जो केवल हमें  परेशान ही नहीं करती है, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है। यह न केवल आपकी दिनचर्या पर असर करती है, बल्कि आपके जीवन की गुणवत्ता को भी कम कर सकता है। आइए, इस समस्या के अलग अलग पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें और समझें कि यह क्यों ज़रूरी है कि आप इसके कारणों, लक्षणों और उपचारों को जानें।


बार-बार बुखार आने के कारण Bar bar bukhar ane ke kaaran

वायरल इंफेक्शन:

  • अक्सर बच्चों को सर्दी और फ्लू जैसे इन्फेक्शन जल्दी हो जाते हैं। यह इन्फेक्शन ज्यादातर बदलते मौसम में देखे गए हैं। इन इनफेक्शंस में मरीज के शरीर का तापमान नॉर्मल से थोड़ा ज्यादा हो जाता है। इसके साथ ही गले में दर्द खराश नाक बहना जैसी कुछ परेशानियां भी देखी गई है। सर्दी और फ्लू के दिनों में बुखार का होना एक आम सी बात है। इसलिए हमेशा यह राय दी जाती है कि बदलते मौसम में खुद को बचा के रखना चाहिए ताकि सर्दी और फ्लू जैसी बीमारियों से बचा जा सके। 

बैक्टीरियल इंफेक्शन:

  • इन इंफेक्शंस में सबसे आम तौर पर फैलने वाला इन्फेक्शन है टाइफाइड। यह एक गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो Salmonella typhii नामक बैक्टीरिया की वजह से  होता है। अगर बात की जाए इसके लक्षणों की तो इस तरह के बुखार में मरीज़ को लगातार बुखार, पेट में दर्द, सिरदर्द, कमजोरी, और कभी-कभी दस्त होते हैं। टाइफाइड का बुखार कई हफ्तों तक बना रह सकता है और यदि इसका ईलाज समय पर न किया जाए तो यह जीवन को भी खतरे में डाल सकता है।

स्वास्थ्य संबंधी स्थितियां:

आटोइम्यून रोग

आटोइम्यून रोगों में, शरीर की रोगों से लड़ने की ताक़त हर दिन कम होने लगती है। ऐसे में मरीज़ बहुत जल्दी अपने आस पास होने वाली इंफेक्शंस को पकड़ लेता और उनसे ग्रसित हों जाता है। ऑटोइम्यून रोगों के दौरान इंफेक्शंस सीधा मरीज़  के स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है, जिससे बार-बार बुखार  हो सकता है। उदाहरण के लिए, ल्यूपस और रूमेटोइड आर्थराइटिस जैसी स्थितियों में, शरीर में सूजन और इन्फ्लेमेशन के कारण लगातार बुखार हो सकता है। इन बीमारियों में बुखार अक्सर अन्य लक्षणों के साथ होता है जैसे जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते, और थकावट।

गांठें और सूजन:

लिम्फ नोड्स की सूजन होना भी बुखार का एक कारण बन सकती है। लिम्फ नोड्स शरीर के इंफेक्शंस से लड़ने में बहुत जरूर काम करते हैं, और  लेकिन जब यह लिंफ नोड सूज जाते हैं, तो बुखार, दर्द, और कभी-कभी सूजन भी हो सकती है। यह हालत में देखा गया है कि मरीज को कैंसर जैसी घातक बीमारी की शुरुआत भी हो। सकती है।

कैंसर


अगर किसी व्यक्ति को कैंसर से घातक बीमारी हो गई है तो शरीर सबसे पहला संकेत बुखार के रूप में देता है। कैंसर प्रकारों में बुखार एक सामान्य लक्षण हो सकता है। इस तरह के बुखार में मरीज को बहुत ही हाई ग्रेड का बुखार होता है जो 103 से 105 डिग्री फारेनहाइट तक बहुत आसानी से नापा जा सकता है । इन स्थितियों में, शरीर में असामान्य कोशिकाएं उत्पन्न होती हैं जो बुखार और अन्य लक्षणों को जन्म देती हैं। कैंसर के मामलों में बुखार अक्सर उच्च तापमान और लंबी अवधि के लिए बना रह सकता है।

दवा की प्रतिक्रिया

  • एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं कुछ दवाओं, विशेषकर एंटीबायोटिक्स, के साइड इफेक्ट के रूप में बुखार हो सकता है। जब दवा का सेवन किया जाता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया कर सकती है, जिससे बुखार होता है। यह स्थिति दवा को बदलने या बंद करने के बाद भी नियंत्रित की जा सकती है, लेकिन डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है।

हॉर्मोनल असंतुलन:

  • थायरॉयड समस्याएं: थायरॉयड ग्रंथि के असंतुलन, जैसे हाइपोथायरॉयडिज़्म (थायरॉयड ग्रंथि की कमी) या हाइपरथायरॉयडिज़्म (थायरॉयड ग्रंथि की अधिकता), के कारण भी बुखार हो सकता है। थायरॉयड असंतुलन के कारण शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ सकता है, जिससे बार-बार बुखार आ सकता Bar bar bukhar aa skta है। इन समस्याओं में बुखार के साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे थकावट, वजन में परिवर्तन, और हार्मोनल असंतुलन के संकेत।

बार-बार बुखार का उपचार

दवा

  • पेरासिटामोल और इबुप्रोफेन: पेरासिटामोल और इबुप्रोफेन बुखार को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी दवाएं हैं। पेरासिटामोल (जैसे टैल्सल) और इबुप्रोफेन (जैसे एडविल) बुखार को कम करने के साथ-साथ दर्द को भी राहत प्रदान करते हैं। ये दवाएं बुखार के साथ उत्पन्न होने वाले शरीर के दर्द और सूजन को भी कम कर सकती हैं। हालांकि, यदि बुखार बार-बार आता है या लंबे समय तक रहता है, तो इन दवाओं का उपयोग केवल तात्कालिक राहत के लिए होता है, और आपको डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। बार-बार बुखार आने पर डॉक्टर अच्छी तरह से चैक  करके  सही दवा और उपचार योजना के साथ इलाज शुरू करेंगे।
  • एंटीबायोटिक्स: अगर बुखार का कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स की सलाह दे सकते हैं। एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को मारने और संक्रमण को समाप्त करने में मदद करती हैं। हालांकि, एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि बिना उचित निदान के इनका उपयोग करने से बैक्टीरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकती है और स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

हाइड्रेशन

  • पानी: बुखार के दौरान शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए शरीर को ठीक से हाइड्रेटेड रखना बहुत महत्वपूर्ण है। बुखार के कारण पसीना और तरल पदार्थों का नुकसान होता है, इसलिए दिन भर में अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी सहायक होता है।
  • इलेक्ट्रोलाइट्स: जब बुखार के कारण शरीर अधिक पसीना करता है, तो शरीर से इलेक्ट्रोलाइट्स भी खो जाते हैं। इनकी पूर्ति के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) का सेवन किया जा सकता है। ओआरएस में सोडियम, पोटेशियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो शरीर की हाइड्रेशन को बनाए रखते हैं और बुखार के दौरान कमजोरी और थकावट को कम करते हैं।

आराम

  • नींद: बुखार के दौरान पर्याप्त आराम और नींद का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नींद शरीर को अपनी ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और बुखार से जल्दी उबरने में मदद करती है। बुखार के दौरान पूरी नींद लेने से शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है और तेजी से ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।

संतुलित आहार

  • पोषणयुक्त भोजन: बुखार के दौरान एक संतुलित और पोषणयुक्त भोजन खाना बहुत ही जरूरी होता है। हरी सब्जियाँ, ताजे फल, और प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें, मछली, और चिकन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। विटामिन C और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन भी आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और बुखार को कम करने में सहायक हो सकता है। लेकिन कुछ तरह के बुखार जैसे कि टाइफाइड में डॉक्टर अक्सर रोटी खाने को मन करते है और हरि सब्जियां और फ़ल खाने ज्यादा मात्रा में खाने की सलाह दे सकते हैं।

हर्बल उपचार

  • तुलसी: तुलसी की पत्तियाँ  में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। तुलसी का रस या तुलसी की चाय बुखार को कम करने और शरीर को ठंडक देने में काफी मददगार होती है । बहुत से आयुर्वेदिक काढ़ो में तुलसी की पत्तियां खास तौर पर इस्तेमाल में ली जाती हैं। इस में मौजूद औषधीय गुण बुखार के साथ अन्य लक्षणों को भी कंट्रोल कर सकते है।
  • अदरक और नींबू: अदरक की चाय या अदरक-नींबू का रस बुखार के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है और शरीर को ठंडक पहुंचा सकता है।अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और नींबू में विटामिन C होता है, जो शरीर की रोगों से लड़ने की ताक़त को मजबूत बनाता हैं 

डॉक्टर सलाह और सही ईलाज

बार-बार बुखार आने की स्थिति में सही डाक्टरी  सलाह और ईलाज बहुत ही जरूरी है। डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति की अच्छी तरह जांच करेंगे और बुखार के कारण का पता लगाने के लिए कुछ ज़रूरी टैस्ट जैसे कि खून की जांच, एक्स-रे, या अल्ट्रासाउंड) कर सकते हैं। अच्छी तरीके से जांच और कारण पता करने के बाद ही डॉक्टर आपको सही इलाज दे सकेगा।

बार-बार बुखार आना एक गंभीर समस्या हो सकती है, जो आपकी दैनिक गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। इसके कारणों को समझना और सही समय पर उपचार प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमने इस लेख में बुखार के केवल कुछ प्रमुख कारणों पर चर्चा की है, लेकिन बुखार के कई अन्य संभावित कारण भी हो सकते हैं। इन कारणों में विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन, स्वास्थ्य स्थितियां, और दवा की प्रतिक्रिया शामिल हो सकती है, जो बुखार का कारण बन सकती हैं। अगर आपको बार-बार बुखार आ रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श लें और अपनी सेहत का ध्यान रखें। विशेषज्ञ आपकी स्थिति की पूरी जांच करके आपको सही निदान और उपचार प्रदान करेंगे, जिससे आपकी समस्या का समाधान हो सके।

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